संजीवनी के गन्ना किसानों को 10 मई तक सरकार द्वारा भुगतान देने का आश्वासन
संजीवनी के गन्ना किसानों को 10 मई तक सरकार द्वारा भुगतान देने का आश्वासन
पोंडा: गन्ना किसानों के लिए खुशखबर है। गोवा सरकार संजीवनी चीनी मिल के गन्ना किसानों के लंबित बकाये का भुगतान करने जा रही है। सरकार ने किसानों को 10 मई तक उनके लंबित भुगतान को क्लियर करने का आश्वासन दिया है।
गोवा के सहकारिता मंत्री गोविंद गौड ने कहा कि संजीवनी चीनी कारखाने के गन्ना किसानों जिनके गन्ने की पेराई 31 जनवरी तक कर्नाटक के कारखानों में हो रहे थे, उनका भुगतान सरकार ने स्वयं के कोष से 10 मई तक करने की मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि बिल राशि का कम से कम 50 प्रतिशत भुगतान तुरंत कर दिया जाएगा। श्री गौड़ ने भुगतान में हुई इस देरी के लिए कोरोना वायरस औऱ लॉकडाउन को जिम्मेदार ठहराया।
गोवा की संजीवनी मिल के बंद होने के कारण गोवा सरकार ने राज्य के किसानों के गन्ने को कर्नाटक राज्य के लैला फैक्ट्री में 27,000 मीट्रिक टन से अधिक गन्ने की आपूर्ति की थी। उस समय हालाँकि, किसानों को कुल बिल राशि का केवल 20 प्रतिशत का भुगतान किया गया, जबकि 80 प्रतिशत बिलों को अभी तक मंजूरी नहीं दी गई है, जिससे किसानों को काफी दिक्कत हुई और कहा था कि भुगतान नहीं मिलने पर वे अपने ऋण को कैसे चुका पाएंगे और अगले पेराई सत्र के लिए कैसे गन्ने की खेती कर पाएंगे।
किसानों के लंबित भुगतानों और उनकी समस्याओं के एक सवाल का जवाब देते हुए श्री गौड ने कहा कि किसानों को पैसा नहीं मिल सकता है क्योंकि कर्नाटक की लैला फैक्ट्री ने उनके बिल को मंजूरी नहीं दी है और इस लॉकडाउन के कारण इसमें और देरी हो सकती है। हालांकि, गोवा के गन्ना किसानों की कठिनाई को देखते हुए गौड ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ प्रमोद सावंत के साथ लंबी बातचीत की है और राज्य सरकार अपने फंड में से 10 मई तक किसानों के आधे पैसे चुकाने का आश्वासन दिया है। साथ ही यह भी कहा कि लैला फैक्टरी से पैसे आ जाने पर इसे समायोजित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि संजीवनी मिल के गन्ना किसानों ने कर्नाटक की फैक्टरी से गन्ने का पूरा विवरण मांगा है ताकि इसपर कार्रवाई की जा सके। श्री गौड ने उन किसानों को भी मुआवजा देने आश्वासन दिया जिनके गन्ने की कटाई नहीं की जा सकी और तालाबंदी के बाद मजदूरों की कमी के कारण लैला फैक्ट्री में नहीं भेजा जा सका। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण तकरीबन 1600 मीट्रिक टन गन्ने की कटाई समय पर नहीं हो सकी है।